शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

चुनाव में वोट किसको दे?

कोई भी व्यक्ति बहार से कितना भी निष्पक्ष होने का प्रयास करे, लेकिन वोट में तो किसी एक को चुनना ही पड़ता है| चुनाव में वोट किसको दे, यह हम सब लोगों को शक रहता ही है| इसके केवल दो पहलु याद रखने चाहिए:

१. हमारा वोट कीमती होता है| इसे अनुपस्थित रहकर, किसीके बहकावे में आकर, 'नोटा' बटन दबाकर या जिसके चुनकर आने की सम्भावना नहीं है ऐसे उम्मीदवार को देकर जायर नहीं करना चाहिए|

२. वोट हंमेशा राष्ट्रहित में होना चाहिए| उम्मीदवार ज्यादातर किसी राजनैतिक पक्ष या गठबंधन का होता है| यह आवश्यक होता है कि जिस उम्मीदवार को वोट दे, वह एक मजबूत और राष्ट्रहित को समर्पित सरकार का गठन करने के लिए योगदान दे|

गुरुवार, 7 जून 2018

तृतीय वर्ष की पूर्णाहुति में श्री प्रणब मुखर्जी

इस विषय पर मैं अपने ज्ञान को सिमित मानता हूँ| माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी बोल चुके है कि प्रणब मुखर्जी को ही देश का प्रधानमंत्री होना चाहिए था| वह सुलझे हुए और मूल्यों से जुड़े हुए व्यक्ति है|

लेकिन उन्होंने जिस तरह संघ के और कोंग्रेस के विचारो के बिच में पूल बनाने का काम किया वह अति प्रशंसनीय था| दो विचारधाराओ के बिच में मतभेद हो सकते है, मनभेद नहीं होने चाहिए|

जो भारत की प्राचीन विचारधारा है, वही संघ की भी विचारधारा है| वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनः हमारी प्राचीन विद्या रही है| हम केवल मनुष्य नहीं, बलके हर जीव के प्रति यह भावना रखते है| यह भावना सेक्युलारिज्म से ऊपर है|

गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

मेरी आज की रचना


हम सारे संसार को एक परिवार समजते है,
और सब सुखी हो उसकी कामना करते है |
यदि किसीने हम पर वक्रदृष्टि से देखा,
तो हम उसका अस्तित्व समाप्त कर देते है|

गर्व से कहो हम हिन्दू है, राम का मंदिर वही बनाएँगे|

लोग कहते है, "वसुधैव कुटुम्बकम्" सही नहीं है, कोई कहता है "सर्वे भवन्तु सुखिनः" ठीक नहीं है, तो कोई "धर्मो रक्षति रक्षितः" को सही नहीं मानते| लेकिन ये तीनो वाक्यांश सही है, यदि इसका एक सीमा तक आचरण किया जाए|

अतः मैंने इन तीनो वाक्यांशों को एक सुनिश्चित प्रणालीका में जोड़कर अपनी नई रचना बना दी|

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

हमारे धर्म-ध्वज

भगवा ध्वज

लोग किसी कारणवश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुरु दो त्रिकोण वाले भगवा ध्वज को मंदिर के ऊपर लगा देते है| जब की वास्तविकता कुछ और ही है| इसके लिए हमें भगवा ध्वज का इतिहास जानना चाहिए| भगवा रंग त्याग, शौर्य और सहनशीलता का प्रतिक है| भारत में यह ध्वज कई सदियो से युद्धो में, संन्यासी के वस्त्र में, राष्ट्र के लिए कार्य, मोर्चे निकालने और घर्म-रक्षा में उपयोग किया जाता है| इसके दो त्रिकोण जब हवा में फहराते है, तब हमें सूर्य जैसी शक्ति और सामर्थ्य रखने की प्रेरणा देता है| यह ध्वज छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य का राजध्वज हुआ करता था|

यहाँ मै कुछ और ध्वज के बारे में लिखुंगा, जो सिर्फ भारत में बने है|

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
हिंदु मंदिरों पर ध्वज




हिन्दू धर्म:-
यह सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के ऊपर लगा ध्वज है| जो एक ही त्रिकोण पर होता है और पूरी तरह से भगवा नहीं होता| इस ध्वज में ओमकार या स्वस्तिक की आकृति रहती है| कभी कभी डमरू, त्रिशूल आदी भी रहते है| यह ध्वज अधिकतर ज्यादा लालाश वाले केसरी रंग होते है| कुछ शिवमंदिरो के ध्वज सफ़ेद रहते है| संत के मंदिरों के ध्वज में पीलापन वाला भगवा रहता है| कुछ देवी मंदिर में हरा ध्वज भी रहता है|

शीख धर्म:-
शीख धर्म
इस ध्वज का रंग ज्यादातर हिंदु ध्वज के जैसा ही होता है, लेकिन इसका आकार त्रिकोण नहीं होता और बिच में खालसा पंथ का संकेत लगा रहता है|

जैन धर्म:-
जैन धर्म
पांच पट्टों का मिश्रण उपर से लाल, पीला, सफ़ेद, हरा और नीला| बीच में केसरी स्वस्तिक के ऊपर चिह्न|

बौद्ध धर्म:-
बौद्ध धर्म
इसमें छह उर्ध्वाकार(खड़े) पट्टे होते है| दाहिना पट्टा फिर से पांच पट्टों में विभाजित होता है| बाए से नीला, पीला, लाल, सफ़ेद और केसरी होता है| दाहिनी पट्टी में उपर से यही क्रम रहता है|

भारतीय संवैधानिक ध्वज (तिरंगा):-
तिरंगा ध्वज
राष्ट्रधर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं होता| तिरंगा ध्वज के तीन पट्टे में उपर केसरी वीरता का, बीच में सफ़ेद शांति का और नीचे हरा समृद्धी का प्रतिक है| बीच में विद्यमान अशोकचक्र में चौबीस रेखाए होती है| जो चौबीस घंटे कार्यरत रहने की प्रेरणा देता है|

शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

हिन्दुत्व और विश्वबंधुत्व


हिन्दु धर्म की जनसंख्या दुनिया में तीसरे स्थान पर और भारत में पहले स्थान पर है। लेकिन भारत में हिन्दुओ की हंमेशा से उपेक्षा होती रहती है। शायद ही ऐसा कोई देश होगा, जहा बहुमत को उसके अधिकार नहीं मिलते।

यद्यपि हिन्दुत्व ने हंमेशा विश्वबंधुत्व का साथ दिया है। "हिन्दु" शब्द भारत का प्राचिन शब्द नहीं है। "हिन्दु" शब्द अरब के राष्ट्रो ने दिया है और "ईन्डिया" युरोपीयन राष्ट्रो ने दिया है। हम सब जानते है, की हमारे देश का प्राचिनतम नाम "भारत" है। "हिन्दु" धर्म का प्राचिनतम नाम "सनातन/वैदिक धर्म" है।

विष्णु पुराण का श्लोक है,
उत्तरं यत्‌ समुद्रस्य हिमाद्वेश्चैव दक्षिणं ।
वर्षं तद्‌ भारतं नाम भारती यत्र संतति ॥
जो भूमि महासागर के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में है, उसे भारत कहते है और वहा के लोगो को भारतीय कहते है।

हिन्दु धर्म की पवित्र धर्मग्रंथ, जिसका ज्ञान सीर्फ भारत के लिए सीमित नहीं है। यह सभी मनुष्यो पर समान तरीके से लागु होते है।

सत्य और अहिंसा भारत की प्राचिन परंपरा है। गौतम बुघ्घ और महात्मा गांघी, दोनो उसको मानते थे। यह सिध्धांत उनके नहीं, अतिप्राचिन है।

हिन्दुत्व हंमेशा "वसुधैव कुटुम्बकम्‌" (विश्व के सभी जीव एक ही परिवार के सदस्य है।) की भावना रखता आया है।

ईस विडियो के खिलाफ मेरा निवेदन



  • ·         पाकिस्तानी सीर्फ हिन्दुस्तान पर फतेह करने की बाते करते है। यह लोग सीर्फ हिन्दुओ पर जुर्म करते है। साफ दिखायी दे रहा है कि इन लोगो का ईरादा सीर्फ हिन्दुओ को मुसलमान बनाने का है।
  • ·         हिन्दु धर्मग्रंथो के अनुसार कल्कि अवतार ब्राह्मण के घर जन्म लेनेवाले है और वो भी देढ सो साल के बाद, ना की अभी और अरबस्तान में
  • ·         पाकिस्तान मुहम्मद अलि जिन्हा ने अलग करवाया था और मरने से पहले उनको भी ईस बात पर पछतावा हुआ था।
  • ·         यदी संसार के सभी संप्रदाय खुद को शांति का संप्रदाय बताकर सभी लोगो को खुद में शामिल होने का निमंत्रण देते रहेंगे, तो संसार में शांति होना बिलकुल असंभव है।
  • ·         यद्यपि आज का हिन्दु धर्म और प्राचिनतम सनातन धर्म भी एक दुजे से भीन्न है। सनातन धर्म ने हंमेशा सभी सजीवो से शांति और अपनापन रखने का संदेश दिया है।
  • ·         ईधर फकीरजी ने कहा है, ५००० साल के बाद वर्णसंकर हो जायेगा। अभी वर्णसंकर होने में बहुत समय बाकी है, ईसका प्रमाण है की महाभारत का युद्ध होने के बाद युगाब्द नामका कॅलेन्डर शुरू हुआ था। निर्देशो के अनुसार महाभारत के युद्ध के २०० से ३०० साल बाद कलयुग शुरू हुआ था। अर्जुन और सुभद्रा का बेटा अभिमन्यु था। अभिमन्यु और उत्तरा का बेटा परिक्षीत जब २५० साल का हुआ तब से कलयुग का आरंभ हुआ। यद्यपि तब द्वापर युग में लोग १००० साल जिंदा रहते थे। अभी युगाब्द केलेन्डर में २०वी सदी के अंत में सीर्फ ५१०० साल ही हुए है।
  • ·         हजारो साल से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं क्षुद्र जन्म के आधार पर बंट गये है, जब की पहले यह कर्म के आधार पर हुआ करता था। किसी भी मनुष्य का कर्म उसके कुल या जन्म पर निर्भर नहीं करता। “तुंडे तुंडे मतिर्भिन्नाः” सब के सोचने तरीके अलग अलग होते है। हर इन्सान जन्म से क्षुद्र होता है। यज्ञोपवित संस्कार के बाद वह शिक्षा अर्जित करने जाता है, तब ब्राह्मण कहलाता है। वापस घर आने पर उसके कर्म के आधार पर अध्यापन करे तो ब्राहमण, राजा या सैनिक बने तो क्षत्रीय, व्यापार करे तो वैश्य और सेवा करे तो क्षुद्र कहलाता है। वर्तमान समय के अनुसार जन्म से शिक्षा के लिए स्कुल में दाखिल होने तक क्षुद्र, विद्यार्थी हो तब तक ब्राह्मण, फिर केटेगरी के अनुसार वह कुछ और कहलाता है। यह व्यवस्था सभी धर्म पर समान तरीके से लागु होती है।
वर्तमान केटेगरी
ब्राह्मण
विद्यार्थी, पंडित, शिक्षक, अध्यापक आदी
क्षत्रीय
सैनिक, फौजी, पुलिस, राजनेता, मिडीया आदी
वैश्य
विक्रेता, एन्जीनिअर, डोक्टर, वकिल आदी
क्षुद्र
कम्पाउन्डर, कोन्ट्राक्टर, वर्कर, ड्राईवर आदी
      सीधी बात है की किसी भी एक घर में सबकी केटेगरी अलग अलग हो सकती है।

  • ·         कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और हंमेशा रहेगा। अयोध्या राम जन्मभूमि है, और हंमेशा रहेगी। और दुसरी बात सनातन धर्म कभी निर्दोष लोगो पर जलील करने के लिए अनुमति नहीं देता। जो दंगे करते है, वह सच्चे हिंदु नहीं है। गुजरात दंगो के समय नरेन्द्र मोदीजी ने कहा था, “किसी भी सभ्य समाज को ऐसी घटनाए शोभा नहीं देती।“
  • ·         ईस विडियो में कई जगह देखा की हिंदु धर्मग्रंथो की बाते गलत तरीके से पेश की गई है। पहले भी यह लोग कुरान का गलत मतलब निकालकर लोगो को गुमराह कर चुके है।
  • ·         यह लोग जो बोल रहे है, की पंडित धर्मग्रंथो का गलत मतलब निकालकर लोगो को सुना रहे है, यह बात सही थी, अभी सही नहीं है। मध्यकालिन पंडितो की बजह से भारत में हिन्दु कम हो गये। यह लोग भुतकाल में हो चुकी बाते वर्तमान से जोडकर सुना रहे है। आज के ब्राह्मण सभी कर्मकांड अच्छी तरह करते है। वह सब कुछ अच्छी तरह समजते है।
  • ·         फकीरजी कहते है, की सारी ईन्सानियत एक ही जात ईस्लाम पर एक हो सकती है। यदी सारे धर्म ऐसा कहने लगे की हमारे ही धर्म पर सारी पृथ्वी एक हो सकती है, तो यह मानवीय एकता के लिए खतरनाक बात साबित होगा। ईससे जगडे-दंगे कम नहीं होगे, बल्की और भी ज्यादा भयानक बनेंगे।
  • ·         धर्म कोई रस्म, रिवाज या कर्मकांड नहीं है और किसी की गुलामी भी नहीं है। संस्कृत में धर्म का मतलब Religion नहीं होता, अपितु Duty होता है। धर्म ईन्सान को ईस पृथ्वी पर दुसरे जीवो और प्रकृति के साथ फर्ज से अवगत्‌ करवाता है। आप किसी भी धर्म की उपासना करे, आप को ईश्वर का वास हर जीव के अंदर दिखना चाहिए। आत्मा ही परमात्मा है। ईश्वर हमारा दोस्त है, मालिक नहीं। हर जीवो की ईबादत होनी चाहिए। क्योंकी सब में ईश्वर का वास है।
  • ·         समुचे विश्व में हिन्दु सभ्यता सबसे ज्यादा संवेदना से भरी सभ्यता है। किसी भी जीव की आखरी सांस होने पर सीर्फ दो सेकन्ड मौन करना काफी होता है। “Sorry” शब्द अंग्रेजो ने लाया है, किसी की गलती होने पर मुंह से sorry निकलना और दील से sorry निकलना अलग बात होती है।
  • ·         ईस विडियो में बात बात पर कल्की अवतार, वर्णसंकर और श्लोक सुनाकर लोगो को बहकाने का प्रयास किया जा रहा है।
  • ·         हिन्दु धर्म का मानना है, इतने मीठे मत बनो की लोग तुम्हे चबा जाए, ईतने कडवे भी मत बनो की लोग तुम्हे थूंक दे। ईसलिए भारत में अग्नि, पृथ्वी जैसी मिसाईल्स है। हम किसी पे बिना बजह के हमला करना नहीं चाहते, अपितु हमारा बचाव किसी भी ताकत के सामने तैयार है।
  • ·         तिलक सर को हंमेशा आनंद देने और बुरे विचारो से बचाने का वैज्ञानिक तरिका है। तिलक के लिए सीर्फ कुमकुम, चंदन आदी द्रव्यो का प्रयोग किया जाता है। जो फायदेमंद होते है, तिलक के पीछे सीर्फ विज्ञान है।
  • ·         “यदा यदा ही धर्मस्य” ईतने सरल श्लोक का गलत मतलब निकाला गया है। भारत में ज्यादातर हिन्दु ईसका मतलब जानते है, ईससे आसानी से साबित होता है की, यह गलत चीज पढा कर हम सबको गुमराह करने की कोशीश है।
  • ·         यदी ईनकी कल्की अवतार के बारे में बात सत्य है, तो निःसंदेह १४ साल पहले वहां जन्मे कल्की हमारा साथ अवश्य देंगे। लेकिन ईसके लिए ईस्लाम का स्विकार करने की कोई जरूरत नहीं है।
  • ·         ईश्वर अति दयालु होता है। आखीर में ऐसा कहा की गरदने तूट जाएगी, वह बिलकुल गलत बात है। मैने पहले भी कहा था की “ईश्वर अपना दोस्त है।“ सच्ची दोस्ती में कभी मार पीट नहीं हो सकती। “न भूतो न भविष्यति।“
अंत में मै सीर्फ ईतना ही कहुँगा,
      'एको देवः सर्वर्भूतेषु गूढः  सर्वव्यापी सर्व भूतान्तरात्मा 
कर्माध्यक्षः सर्व भूताधिवासः साक्षी चेता केवलः निर्गुणश्च'

अर्थात, सभी प्राणियों में स्थित ईश्वर एक है, वह सर्व व्यापक. समस्त भूतों का अंतरात्मा, कर्मों का अधिष्ठाता, समस्त प्राणियों में बसा हुआ साक्षी, परम चैतन्य, परम शुद्ध और निर्गुण है।