गुरुवार, 7 जून 2018

तृतीय वर्ष की पूर्णाहुति में श्री प्रणब मुखर्जी

इस विषय पर मैं अपने ज्ञान को सिमित मानता हूँ| माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी बोल चुके है कि प्रणब मुखर्जी को ही देश का प्रधानमंत्री होना चाहिए था| वह सुलझे हुए और मूल्यों से जुड़े हुए व्यक्ति है|

लेकिन उन्होंने जिस तरह संघ के और कोंग्रेस के विचारो के बिच में पूल बनाने का काम किया वह अति प्रशंसनीय था| दो विचारधाराओ के बिच में मतभेद हो सकते है, मनभेद नहीं होने चाहिए|

जो भारत की प्राचीन विचारधारा है, वही संघ की भी विचारधारा है| वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनः हमारी प्राचीन विद्या रही है| हम केवल मनुष्य नहीं, बलके हर जीव के प्रति यह भावना रखते है| यह भावना सेक्युलारिज्म से ऊपर है|

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